4- हे हंसवाहिनी ज्ञानदायिनी – सरस्वती वंदना
हे हंसवाहिनी ज्ञान दायिनी अम्ब विमल मति दे। अम्ब विमल मति दे॥ जग सिरमौर बनाएँ भारत, वह बल विक्रम दे। वह बल विक्रम दे॥ हे हंसवाहिनी….. अम्ब विमल मति दे।…
हे हंसवाहिनी ज्ञान दायिनी अम्ब विमल मति दे। अम्ब विमल मति दे॥ जग सिरमौर बनाएँ भारत, वह बल विक्रम दे। वह बल विक्रम दे॥ हे हंसवाहिनी….. अम्ब विमल मति दे।…