क्षेत्रमिति किसे कहते है

क्षेत्रमिति,mensuration, क्षेत्रफल, परिमाप, Area, PERIMETER,
क्षेत्रमिति (mensuration) गणित की एक शाखा है जो मापन से सम्बन्धित है। मापन में भी विशेष रूप से यह ज्यामितीय आकृतियों के क्षेत्रफल एवं आयतन के सूत्रों की निष्पत्ति (derivation) एवं उनके प्रयोग से सम्बन्ध रखती है। क्षेत्रमिति के अंतर्गत हम द्विविमीय और त्रिविमीय आकृति के बारे में पड़ते है। जहाँ हम आयतन, क्षेत्रफल, परिमाप या परिमिति आदि को निकालना सीखते है।

क्षेत्रमिति,mensuration, क्षेत्रफल, परिमाप, Area, PERIMETER, आदि।

त्रिविमीय आकृतियां : घन, घनाभ, बेलन, शंकु, गोला, शंकु का छिन्नक आदि।

क्षेत्रमिति में हम आयतन, क्षेत्रफल, आदि को निकालना सीखते है।

क्षेत्रफल (AREA) : किसी आकृति का उसके सभी भुजाओं से घिरे हुए तल को उस आकृति का क्षेत्रफल कहते हैं क्षेत्रफल की इकाई (Unit) वर्गमीटर, वर्ग सेंटीमीटर, वर्ग किलोमीटर आदि होती हैं।

परिमाप/परिमिति (PERIMETER) : किसी आकृति का सभी भुजाओं की लंबाइयों का योग उस आकृति का परिमाप या परिमिति कहलाता हैं परिमाप की इकाई (unit) मीटर, सेंटीमीटर, किलोमीटर आदि होती हैं।

त्रिभुज (TRIANGLE)

तीन भुजाओं से घिरा समतल क्षेत्र त्रिभुज कहलाता हैं त्रिभुज के लिए ‘∆’ चिन्ह का प्रयोग किया जाता हैं किसी भी त्रिभुज में तीन भुजाएं, तीन शीर्ष तथा तीन कोण होते हैं त्रिभुज के तीनों कोणों का योग 180° होता हैं।

  1. समबाहु त्रिभुज (Equilateral Triangle) : जिस त्रिभुज की तीनों भुजाएं बराबर हों उसे समबाहु त्रिभुज कहते हैं समबाहु त्रिभुज के प्रत्येक कोण का मान 60° होता हैं।

समबाहु त्रिभुज का क्षेत्रफल = √3/4 × भुजा²
समबाहु त्रिभुज का परिमाप = 3 × भुजा
शीर्ष बिंदु से डाले गए लम्ब की लम्बाई = √3/4 × भुजा

  1. समद्विबाहु त्रिभुज (Isosceles Triangle) : जिस त्रिभुज की किन्हीं दो भुजाओं की लम्बाई बराबर हों, उसे समद्विबाहु त्रिभुज कहते हैं।

समद्विबाहु त्रिभुज का क्षेत्रफल = b¼(4a² – b²)
समद्विबाहु त्रिभुज का परिमाप = a + a + c या 2a + b
शीर्ष बिंदु A से डाले गए लम्ब की लम्बाई AD = ½(√4a² – b²)

  1. विषमबाहु त्रिभुज (Scalene Triangle) : जिस त्रिभुज की तीनों भुजाएं असमान लम्बाई की हो, उसे विषमबाहु त्रिभुज कहते हैं।

उदाहरण:  AB बराबर नहीं होता BC के, BC बराबर नहीं होता CA के।

विषमबाहु त्रिभुज का क्षेत्रफल = ½ × आधार × ऊँचाई
विषमबाहु त्रिभुज का परिमाप = तीनों भुजाओं का योग = (a + b + c)/2
विषमबाहु त्रिभुज का क्षेत्रफल = √s(s – a)(s – b)(s – c)

  1. समकोण त्रिभुज (Right-Angle Triangle) : जिस त्रिभुज का एक कोण समकोण अर्थात 90° का हो, उसे समकोण त्रिभुज कहते हैं।

यदि समकोण त्रिभुज में ∠ABC के समकोण होने के साथ-साथ AB और BC की लम्बाईया भी बराबर हों, तो त्रिभुज ABC को समद्विबाहु समकोण त्रिभुज ABC को समद्विबाहु समकोण त्रिभुज कहते है।

समकोण त्रिभुज का क्षेत्रफल = ½ × आधार × ऊँचाई
समकोण त्रिभुज का क्षेत्रफल = ½ ac
समकोण त्रिभुज का परिमाप = (लम्ब + आधार + कर्ण) = (a + b + c)
समकोण त्रिभुज का कर्ण = √लम्ब² +आधार²
समकोण त्रिभुज का लम्ब = √कर्ण² – आधार²
समकोण त्रिभुज का आधार = √कर्ण² – लम्ब²

  1. न्यूनकोण त्रिभुज (Acute Angled Triangle) : जिस त्रिभुज के तीनों कोण न्यून कोण अर्थात 90° से कम हो, उसे न्यून कोण त्रिभुज कहते हैं।
    त्रिभुज ABC में प्रत्येक कोण की माप 90° से कम हैं।
  2. अधिक कोण त्रिभुज (Obtuse-angled triangle) : जिस त्रिभुज का एक कोण अधिक कोण अर्थात 90° से अधिक हो, उसे अधिक कोण त्रिभुज कहते हैं त्रिभुज ABC में ∠ABC की माप 90° से अधिक हैं।

चतुर्भुज (QUADRILATERAL)

चार भुजाओं से घिरे समतल क्षेत्र को चतुर्भुज कहते हैं किसी भी चतुर्भुज में चार भुजाएँ तथा चार कोण होते हैं चतुर्भुज के चारों कोणों का योगदान चार समकोण अर्थात 360° का होता हैं।

रेखाखण्ड AC तथा BD को विकर्ण कहते हैं चतुर्भुज की वे दो भुजाएँ, जिसका कोई उभयनिष्ठ बिंदु न हो, सम्मुख भुजाएँ कहलाती हैं, AB, CD तथा AD, BC सम्मुख भुजाएँ हैं।

  1. समान्तर चतुर्भुज (Parallelogram) : चार भुजाओं से घिरी वह आकृति, जिसके आमने-सामने की भुजाएँ बराबर और समान्तर हों, समान्तर चतुर्भुज कहलाती हैं इसमें सम्मुख कोण भी बराबर होते हैं।

ABCD एक समान्तर चतुर्भुज हैं जिसमें भुजा AB, CD के और AD, BC के समांतर तथा बराबर हैं BD समान्तर चतुर्भुज का विकर्ण तथा AE इसकी ऊँचाई हैं।
यदि समान्तर चतुर्भुज ABCD की भुजाएँ a, b हो और A से BC पर डाले गए लम्ब AE की लम्बाई h हो, तो

समान्तर चतुर्भुज का क्षेत्रफल = आधार × ऊँचाई = ah
समान्तर चतुर्भुज का क्षेत्रफल = कर्ण × आमने सामने के शीर्ष से कर्ण की लम्बाई दूरी = BD × CF
समान्तर चतुर्भुज का क्षेत्रफल = 2 × त्रिभुज ABD या BCD का क्षेत्रफल
समान्तर चतुर्भुज का परिमाप = भुजाओं का योगदान = 2 × (a × b)

  1. आयत (Rectangle) : चार भुजाओं से घिरी वह आकृति, जिसमें आमने सामने की भुजाएँ समान्तर और बराबर होती हैं तथा प्रत्येक कोण समकोण होता हैं, उसे आयत कहते हैं।
    AC तथा BD को विकर्ण कहते हैं तथा ये आपस में बराबर होते हैं अर्थात AC = BD

आयत का परिमाप = 2(लम्बाई + चौड़ाई)
आयत का क्षेत्रफल = लंबाई ×चौड़ाई
आयत का विकर्ण =√(लंबाई² + चौड़ाई²)

आयात से सम्बन्धित कुछ महत्वपूर्ण सिध्दांत

जब किसी आयत में एक विकर्ण डाला जाए तो उसमें बने दो त्रिभुज के क्षेत्रफल समान होगें।
जब आयत में दो विकर्ण डाले जाए तो दोनों की लम्बाई समान होगी और आमने सामने के कोण भी समान होगें।
जब किसी आयत के अंदर बड़े से बड़े वृत्त को बनाया जाए तब आयत की चौड़ाई वृत्त के व्यास के बराबर होती हैं। तो अन्तः वृत्त का क्षेत्रफल (πb²/ 4) होता हैं।
जब आयत के बाहर की तरफ वृत्त बना हो तब आयत का विकर्ण वृत्त के व्यास के बराबर होता हैं।

  1. विषमकोण समचतुर्भुज (Rhombus) : चार भुजाओं से घिरी वह आकृति, जिसमें चारों भुजाएं बराबर हों, लेकिन एक भी कोण समकोण न हो, उसे विषमकोण समचतुर्भुज या समचतुर्भुज कहते हैं।

विषमकोण चतुर्भुज का क्षेत्रफल = ½ × दोनों विकर्णो का गुणनफल
विषम कोण समचतुर्भुज की परिमाप = 4 × एक भुजा
समचतुर्भुज में (AC)² + (BD)² = 4a²

समचतुर्भुज के विकर्ण एक दूसरे को 90° पर दो बराबर भागों में विभाजित करते हैं।

  1. वर्ग (square) : चार भुजाओं से घिरी वह आकृति जिसकी चारो भुजाएँ बराबर हों तथा प्रत्येक कोण समकोण अर्थात 90° का हो, उसे वर्ग कहते हैं।

AC तथा BD को विकर्ण कहते हैं तथा ये आपस में एक दूसरे के बराबर होते हैं अर्थात AC = BD

वर्ग का क्षेत्रफल = (एक भुजा)² = a²
वर्ग का क्षेत्रफल = ½ × (विकर्णो का गुणनफल) = ½ × AC × BD
वर्ग की परिमिति = 4 × a
वर्ग का विकर्ण = एक भुजा × √2 = a × √2
वर्ग का विकर्ण = √2 × वर्ग का क्षेत्रफल

Case#1: जब वर्ग के अंदर बड़ा से बड़ा वृत्त बना हो।
अन्तः वृत्त का क्षेत्रफल = (π a²)/4
Case#2. जब वर्ग के बाहर बड़े से बड़ा वृत्त बना हो।
बाह्य वृत्त का क्षेत्रफल:- (πa²)/2

Note:-

आंतरिक वृत और बह्यवृत के वर्ग में हमेशा 1 : √2 होता हैं।
परिधि का अनुपात = 1 : √2
क्षेत्रफल का अनुपात = 1 : 2
वर्ग के क्षेत्रफल का अनुपात = 1 : 2

Case#3:- जब वर्ग के विकर्ण पर वर्ग बनाया जाए
भुजाओं का अनुपात = 1 : √2
क्षेत्रफलों का अनुपात = 1 : 2
Case#4:- जब वर्ग के विकर्ण पर समबाहु त्रिभुज बनाया जाए
भुजाओं का अनुपात = 1 : √2
क्षेत्रफलों का अनुपात = 2 : √3

  1. समलम्ब चतुर्भुज (Trapezium) : चार भुजाओं से घिरी वह आकृति, जिसकी केवल दो भुजाएँ समान्तर हों, उसे समलम्ब चतुर्भुज कहते हैं।

ABCD एक समलम्ब चतुर्भुज हैं, जिसमें सिर्फ AD तथा BC समान्तर भुजाएँ हैं AB और CD आड़ी (oblique) भुजाएँ हैं A से AE या D से DF लम्ब BC पर खींचा जाए तो AE या DF इसकी ऊँचाई होगी।

समलम्ब चतुर्भुज का क्षेत्रफल = ½ × ऊँचाई × समान्तर भुजाओं का योग
समलम्ब चतुर्भुज का क्षेत्रफल = ½ × h × (AD + BC)
बहुभुज (POLYGON)

बहुभुज का क्षेत्रफल उसको कई त्रिभुजों या चतुर्भुजों या अन्य मानक आकृतियों में बांटकर निकाला जाता हैं यदि बहुभुज में पाँच, छः या दस भुजाएँ हों, तो उसको क्रमशः पंचभुज, छट्भुज, दसभुज कहाँ जाता हैं।

n भुजा वाले चतुर्भुज का अन्तः कोणों का योग = 2(n -2) × 90°
n भुजा वाले बहुभुज के बहिष्कोणों का योग = 360°
n भुजा वाले समबहुभुज का प्रत्येक अन्तः कोण = [2(n – 2) × 90°] / n
n भुजा वाले समबहुभुज का प्रत्येक भहिष्यकोण = 360°/n
बहुभुज की परिमिति = n × एक भुजा
नियमित षट्भुज का क्षेत्रफल = 6 × ¼√3 (भुजा)²
नियमित षट्भुज का क्षेत्रफल = 3√3×½ (भुजा)²
नियमित षट्भुज की परिमति = 6 × भुजा
समषट्भुज की भुजा = परिवृत की त्रिज्या
n भुजा वाले नियमित बहुभुज के विकर्णो की संख्या = n(n – 3)/2
वृत्त (CIRCLE)

वृत्त एक ऐसी बिंदु का बिंदुपथ हैं, जो इस तरह घूमता हैं कि उसकी दूरी एक स्थिर बिंदु से सदैव बराबर रहती हैं स्थिर बिंदु को वृत्त का केंद्र, अचल दूरी को वृत्त की त्रिज्या एवं या अर्द्व्यास तथा बिंदु पथ को पतिधि कहते हैं।

केंद्र से गुजरने वाली वह शीधी रेखा जो वृत्त को दो बराबर खंडों में विभक्त करती हैं वृत्त का व्यास कहलाती हैं, वृत्त का व्यास उसकी त्रिज्या का दोगुना होता हैं।

किसी वृत्त की परिधि की लंबाई उसकी व्यास की लंबाई की लगभग 22/7 गुना होती हैं इसे ग्रीक अक्षर π द्वारा प्रदर्शित किया जाता हैं अक्षर π को पाई पड़ा जाता हैं, जहाँ π = परिधि/व्यास = 22/7 = 3.1428571 होता हैं।

परिधि पर स्थित किन्हीं दो बिंदुओं को मिलाने वाली सीधी रेखा को वृत्त की जीवा या चाप कर्ण कहते हैं।

वृत्त का व्यास = 2 × त्रिज्या = 2r
वृत्त की परिधि = 2π त्रिज्या = 2πr
वृत्त की परिधि = π × व्यास = πd
वृत्त का क्षेत्रफल = π × त्रिज्या² = πr²
वृत्त की त्रिज्या = √वृत्त का क्षेत्रफल/π
अर्द्ववृत्त की परिमिति = (n + 2)r = (π + 2)d/2
अर्द्ववृत्त का क्षेत्रफल = 1/2πr² = 1/8 πd²
त्रिज्याखण्ड का क्षेत्रफल = θ/360° × वृत्त क्षेत्रफल = θ/360° × πr²
त्रिज्याखण्ड की परिमिति = (2 + πθ/180°)r
वृतखण्ड का क्षेत्रफल = (πθ/360° – 1/2 sinθ)r²
वृतखण्ड की परिमिति = (L + πrθ)/180° , जहाँ L = जीवा की लम्बाई
चाप की लम्बाई = θ/360° × वृत्त की परिधि
चाप की लम्बाई = θ/360° × 2πr
दो संकेन्द्रीय वृत्तों जिनकी त्रिज्याए R1, R2, (R1 ≥ R2) हो तो इन वृत्तों के बीच का क्षेत्रफल = π(r²1 – r²2)

आयतन (VOLUME) : कोई वस्तु जितना स्थान घेरती हैं, उसे उस वस्तु का आयतन कहते हैं आयतन की इकाई (unit) घन मीटर, घन सेंटीमीटर, घन किलोमीटर आदि होती हैं।

सतह (SURFACE) : जिस पृष्ठों द्वारा वस्तु घिरी होती हैं उसे उस वस्तु की सतह कहते हैं सतह, पृष्ठों का क्षेत्रफल होता हैं, इस कारण इसकी इकाई (unit) वर्ग मीटर, वर्ग सेंटीमीटर, वर्ग किलोमीटर आदि होती हैं।

घनाभ (CUBOID)

छः पृष्ठों से घिरी वह आकृति, जिसमें प्रत्येक पृष्ठ एक आयत होता हैं और सम्मुख पृष्ठ बराबर होते हैं घनाभ कहलाती हैं।

घनाभ एक ऐसी त्रिआयामी(3d) आकृति है जिसके 6 आयताकार फलक होते हैं। इसी वजह से ऐसी आकृतियों को बहुफलक भी कहा जाता है।

जैसे:- किताब, ईट, दियासलाई की डिबिया संदूक इत्यादि।

घनाभ का आयतन = लम्बाई × चौड़ाई × ऊँचाई
घनाभ का आयतन = l × b × h
घनाभ का परिमाप = 2(l + b) × h
घनाभ के समस्त पृष्ठों का क्षेत्रफल = 2(लम्बाई × चौड़ाई + चौड़ाई × ऊँचाई + ऊँचाई × लम्बाई)
घनाभ के सम्पूर्ण पृष्ठ का क्षेत्रफल = 2(lb + bh + hl)
घनाभ के विकर्ण = √(लम्बाई)² + (चौड़ाई)² + (ऊँचाई)²
घनाभ का विकर्ण = √l² + b² + h²

आयताकार कमरा (RECTANGULAR ROOM) :

कमरे की चारों दीवारों का क्षेत्रफल = 2 × ऊँचाई × (लम्बाई + चौड़ाई)
छत या फर्श का क्षेत्रफल = लम्बाई × चौड़ाई
कमरे का विकर्ण = √ (लम्बाई)² + (चौड़ाई)² + (ऊँचाई)²
खोखले बेलन का आयतन = πh(r^21 – r^22)
खोखले बेलन का वक्र पृष्ठ = 2πh(r^21 + r^22)
खोखले बेलन का सम्पूर्ण पृष्ठ = 2πh(r1 + r2) + 2π(r^21 – r^22)
घन (Cube)

घन एक ऐसी त्रिआयामी आकृति को कहा जाता है जिसकी लम्बाई, चौड़ाई एवं ऊँचाई सामान होती हैं। एक घन में छः फलक, बारह किनारे एवं आठ कोने होते हैं इसके छह बराबर-बराबर आकार के फलक होते हैं हर फलक एक वर्ग होता हैं और छह फलक होने के कारण यह एक प्रकार का षट्फलकी (hexahedron) भी कहलाता हैं।

घन का आयतन = a × a × a
घन का परिमाप = 4 × a × a
घन के सम्पूर्ण पृष्ठ का क्षेत्रफल = 6 a² वर्ग सेंटीमीटर।
घन का विकर्ण = √3a सेंटीमीटर।
बेलन (Cylinder)

बेलन ज्यामिति में एक त्रिआयामी ठोस की आकृति है। इसका पार्श्व पृष्ठ वक्र, सिरे समान त्रिज्या के वृत्ताकार होते हैं, बेलन सरल रूप में एक रोलर या समान व्यास का गिलास है।

बेलन का आयतन = πr²h
बेलन के वक्र पृष्ठ का क्षेत्रफल = 2πrh
बेलन के सम्पूर्ण पृष्ठ का क्षेत्रफल = (2πrh + 2πr²h) वर्ग सेंटीमीटर।
शंकु (Cone)

शंकु एक त्रिविमीय संरचना होती हैं जो शीर्ष बिंदु और एक आधार को मिलाने वाली रेखाओं द्वारा निर्मित होती हैं यदि किसी शंकु का आधार एक वृत्त हो तो वह लम्ब वृतीय शंकु कहलाता हैं।

L = √(r² + h²)
शंकु का आयतन = (πr²h)/3 घन सेंटीमीटर।
शंकु का वक्र पृष्ठ का क्षेत्रफल = πrl वर्ग सेंटीमीटर।
 शंकु का सम्पूर्ण पृष्ठ का क्षेत्रफल = (πrl + πr²) वर्ग सेंटीमीटर।
गोला (Sphere)

गोला वह ठोस है जिसमें केवल एक तल होता है और इसके तल का प्रत्येक बिन्दु एक निश्चित बिन्दु से समान दूरी पर होता है। इस बिन्दु को गोले का केन्द्र कहते हैं तथा केन्द्र से गोले के किसी बिन्दु की दूरी को गोले की त्रिज्या कहते हैं।

गोला का आयतन = (4πr³)/3 घन सेंटीमीटर
गोले का वक्र पृष्ठ = 4πr² वर्ग सेंटीमीटर
अर्द्धगोले का आयतन = (2πr³)/3 घन सेंटीमीटर
अर्द्धगोले का सम्पूर्ण पृष्ठ = 3πr² वर्ग सेंटीमीटर
अर्द्वगोले की त्रिज्या r हो, तो
अर्द्वगोले का आयतन = 2/3 πr³
अर्द्वगोले का वर्कप्रष्ठ = 2πr²
अर्द्वगोले का सम्पूर्ण पृष्ठ = 3πr²
शंकु का छिन्नक (Frustum of a Cone)

शंकु के कुछ उपरी भाग को आधार के समान्तर समतल द्वारा काट देने पर बचे ठोस को शंकु का छिन्नक कहते है।

शंकु के छिन्नक का आयतन = (πh)/3 (R² + r² + Rr)
तिर्यक भाग का क्षेत्रफल = π (R + r)³, l² = h² + (R – r)²
छिन्नक के सम्पूर्ण पृष्ठ का क्षेत्रफल = π[R² + r² + l(R + r)]
द्विविमीय आकृतियों के सूत्र
त्रिभुज का क्षेत्रफल = 1/2 × आधार × ऊँचाई
समान्तर चतुर्भुज का क्षेत्रफल = आधार × ऊँचाई
वृत्त का क्षेत्रफल = πr² (जहाँ r वृत्त की त्रिज्या हैं।)
वृत्त की परिधि = 2πr
वृत्त की त्रिज्या = परिधि/2r
समबाहु त्रिभुज का क्षेत्रफल = (√3/4) × भुजा × भुजा
समबाहु त्रिभुज का परिमाप = 3 × भुजा
शीर्ष बिंदु से डाले गए लम्ब की लम्बाई = (√3/4) × भुजा
समद्विबाहु त्रिभुज का क्षेत्रफल = (a × √4b²- a²)/4
समद्विबाहु त्रिभुज का परिमाप = a + 2b
शीर्ष बिंदु A से डाले गए लम्ब की लम्बाई = (√4b² – a²)/2
विषमबाहु त्रिभुज का क्षेत्रफल = 1/2 × आधार × ऊँचाई
विषमबाहु त्रिभुज का परिमाप = तीनों भुजाओं का योग = (a + b + c)/2
विषमबाहु त्रिभुज का क्षेत्रफल = √s(s – a)(s – b)(s – c)
आयत का परिमाप = 2(l + b)
आयत का क्षेत्रफल = l × b
आयत का विकर्ण =√(l² + b²)
वर्ग का परिमाप = 4a
वर्ग का क्षेत्रफल = भुजा × भुजा
वर्ग का विकर्ण = √2a
कमरे की चार दीवारों का क्षेत्रफल = 2 × (लम्बाई + चौड़ाई) × ऊँचाई

By Ns Malawat

Heelo I am Narayan Singh Malawat From Jawatra Dist Udaipur State Rajasthan. I am A Govt. Teacher.

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