भारत के पहले मुस्लिम CJI जो 2 बार रहे कार्यवाहक राष्ट्रपति, Former CJI Mohammad Hidayatullah
Former CJI Mohammad Hidayatullah: देश में कई ऐसे सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहे जिन्हें हम आज भी याद करते हैं. ऐसा ही एक नाम पूर्व जस्टिस एम हिदायतुल्लाह का भी है, हिदायतुल्लाह पहले ऐसे मुस्लिम सीजेआई थे जिन्हें दफनाया नहीं बल्कि जलाया गया था. इतना ही नहीं वो इकलौते मुख्य न्यायाधीश थे, जिन्होंने दो बार कार्यवाहक राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के रूप में काम किया था.
एम हिदायतुल्लाह का जन्म 17 दिसंबर 1905 में नागपुर (महाराष्ट्र) में हुआ था. के पूर्वज मूलत: बनारस के रहने वाले थे, जिनकी गिनती विद्धानों में होती थी. इनके दादा मुंशी कुदरतुल्लाह बनारस में वकील थे, जबकि इनके पिता खान बहादुर हाफिज विलायतुल्लाह आई.एस.ओ. मजिस्ट्रेट मुख्यालय में तैनात थे. हाफिज विलायतुल्लाह काफी प्रतिभाशाली थे और उन्होंने अपनी पढ़ाई के दौरान हर परीक्षा प्रथम श्रेणी में पास की थी. एम हिदायतुल्लाह के पिता हाफिज विलायतुल्लाह 1928 में डिप्टी कमिश्नर के पद से रिटायर हुए,
मुहम्मद हिदायतुल्लाह 53 साल की उम्र में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किए गए थे. इसके बाद 28 फरवरी 1968 को इन्हें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बनाया गया. इतना ही नहीं वो इकलौते ऐसे चीफ जस्टिस थे, जिन्होंने दो बार कार्यवाहक राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के रूप में काम किया था.
लंदन में हासिल की लॉ की डिग्री
क्योंकि परिवार में पढ़ाई-लिखाई का माहौल था इसलिए उनकी शिक्षा पर भी खास ध्यान दिया गया. जीवन के शुरुआती छह साल उन्होंने नागपुर में बिताए. 1922 में रायपुर के सरकारी स्कूल से प्रथम श्रेणी में मैट्रिक पास किया. प्रथम श्रेणी आने के कारण उन्हें फिलिप्स स्कॉलरशिप हासिल हुई. आगे की पढ़ाई मॉरिस कॉलेज से हुई और ऑटर्स में ग्रेजुएशन किया. 1927 में लंदन के ट्रिनिटी कॉलेज से लॉ की पढ़ाई की. वह 1930 में भारत आ गए. एम हिदायतुल्लाह ने 1930 से 1936 तक नागपुर हाईकोर्ट में प्रैक्टिस की. उनकी बेहद इच्छा थी कि वह पढ़ाने काम करें. तो उनको यह मौका भी मिल गया. 1934 से 1942 तक वह नागपुर विश्वविद्यालय में लॉ के पॉर्टटाइम प्रोफेसर रहे. बहुत कम लोगों को यह बात पता होगी कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिंहराव भी वहां इनके शिष्य थे.
बने सबसे कम उम्र के सीजेआई
सीढ़ी दर सीढ़ी चढ़ते हुए एम हिदायतुल्लाह ने जीवन में बड़ी कामयाबी हासिल की. वह नागपुर हाई कोर्ट में 1936 से 1942 तक एडवोकेट तथा 1942 से 1943 तक सरकारी वकील रहे. तरक्की करते हुए वह 24 जून 1946 को नागपुर हाई कोर्ट के कार्यवाहक जज भी बने. 13 अगस्त 1946 को उन्हें स्थायी रूप से जज बनाया गया और 1954 तक यह इस पद पर रहे. 1956 तक एम. हिदायतुल्लाह नागपुर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रहे. 1958 में वह उच्चतम न्यायालय में जज बन गए. उनके करियर का सबसे बड़ा दिन 25 फरवरी 1968 का था, जब यह उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने. हिदायतुल्लाह इस पद को संभालने वाले सबसे कम उम्र के जज थे. इसके साथ ही वह पहले मुस्लिम मुख्य न्यायाधीश भी थे.
दो बार रहे कार्यवाहक राष्ट्रपति
एम हिदायतुल्लाह एकमात्र मुख्य न्यायाधीश थे जो देश के कार्यवाहक राष्ट्रपति भी बने. दरअसल देश के तीसरे राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन के आकस्मिक निधन के बाद कार्यवाहक राष्ट्रपति बने उपराष्ट्रपति वीवी गिरी ने भी राष्ट्रपति चुनाव में भाग लेने के लिए इस्तीफा दे दिया था. एम हिदायतुल्लाह 20 जुलाई 1969 से 24 अगस्त 1969 तक कार्यवाहक राष्ट्रपति रहे. कार्यवाहक राष्ट्रपति बनने से पूर्व एम. हिदायतुल्लाह को सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का पद छोड़ना पड़ा था. तब उस पद पर जे. सी. शाह को नया कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश बनाया गया था. वह 35 दिन तक कार्यवाहक राष्ट्रपति रहे.
एम. हिदायतुल्लाह को 31 अगस्त 1979 को उपराष्ट्रपति चुना गया. उन्होंने उपराष्ट्रपति पद का कार्यकाल पूरा किया और 31 अगस्त 1984 तक पद पर रहे. वह दूसरी बार कार्यवाहक राष्ट्रपति तब रहे, जब ज्ञानी जैल सिंह अपना इलाज कराने अमेरिका गये थे. तब वह 6 अक्टूबर, 1982 से 31 अक्टूबर, 1982 तक कार्यवाहक राष्ट्रपति रहे.
हिंदू रीति से हुआ अंतिम संस्कार
एम. हिदायतुल्लाह का विवाह एक हिंदू महिला से हुआ था. उनकी पत्नी का नाम पुष्पा शाह था. पुष्पा अच्छे परिवार से थीं. उनके पिता ए. एन. शाह एक आईसीएस अधिकारी थे. वह अखिल भारतीय इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल के चेयरमैन रहे. एम. हिदायतुल्लाह का निधन 18 सितंबर 1992 को 86 साल की उम्र में मुंबई में हुआ था. हिदायतुल्लाह पहले ऐसे मुस्लिम सीजेआई थे जिन्हें दफनाया नहीं बल्कि जलाया गया था. एम हिदायतुल्लाह की वसीयत के मुताबिक उनका अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाज से किया गया क्योंकि उन्होंने मरने के बाद दफनाने नहीं बल्कि जलाने की इच्छा जाहिर की थी.