सुख के सब साधी, दुःख में न कोई
मेरे राम, मेरे राम,
तेरा नाम इक सांचा, दूजा न कोई ।
१.जीवन आनी-जानी छाया
झूठी माया झूठी काया
फिर काहे को सारी उमरिया
पाप की गठरी ढोए
२.ना कुछ तेरा जा कुछ मेरा
ये जय-जोगी-वाला फेरा
राजा हो या रंक सभी का
अंत एक सा होए।
३.बाहर की तू माटी फांके
मन के भीतर क्यों ना झाँके
उजले तन पर मान किया
और मन की मैल ना धोई।
4- हे हंसवाहिनी ज्ञानदायिनी – सरस्वती वंदना
5- तुम ही हो माता पिता तुम्ही हो
14- हर देश में तू, हर भेष में तू
15- सुबह सवेरे लेकर तेरा नाम प्रभु,
[…] 17- सुख के सब साथी […]
[…] 17- सुख के सब साथी […]
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