हमारी ही मुद्ठी में आकाश सारा

जब भी खुलेगी चमकेगा तारा।

कभी न ढले जो, वो ही सितारा

दिशा जिससे पहचाने संसार सारा ।

हथेली पे रेखाएँ हैं सब अधूरी

किसने लिखी हैं, नहीं जानना है।

सुलझाने उनको, ना आएगा कोई, समझना है

उनको ये अपना करम है ।

अपने करम से दिखाना है सबको

खुदका पनपना, उभरना है खुदको।

अँधेरा मिटाए जो नन्हा शरारा

दिशा जिससे पहचाने संसार सारा

हमारे पीछे कोई आए ना आए !

हमें ही तो पहले पहुँचना वहाँ है।

जिन पर है चलना नई पीढ़ियों को

उन्हीं रास्तों को बनाना हमें है।

जो भी साथ आएँ उन्हें साध ले लें

अगर ना कोई साध दे तो अकेले।

सुलगा के खुद को मिटा ले अँधेरा

दिशा जिससे पहचाने संसार सारा।

1- सरस्वती वंदना

2- माँ सरस्वती वरदान दो

3- ‘हे शारदे माँ’

4- हे हंसवाहिनी ज्ञानदायिनी – सरस्वती वंदना

5- तुम ही हो माता पिता तुम्ही हो

6- दया कर दान भक्ति

7- ऐ मालिक तेरे बन्दे हम

8- मारी मुट्ठी में आकाश सारा

9- इतनी शक्ति हमे देना दाता

10- ए मालिक तेरे बंदे हम

11- दयालु नाम है तेरा

12- वीणा वादिनि विमल वाणी दे

13- हम को मन की शक्ति देना

14- हर देश में तू, हर भेष में तू

15- सुबह सवेरे लेकर तेरा नाम प्रभु,

16- हे जग त्राता विश्व विधाता

17- सुख के सब साथी

By Ns Malawat

Heelo I am Narayan Singh Malawat From Jawatra Dist Udaipur State Rajasthan. I am A Govt. Teacher.

One thought on “8- मारी मुट्ठी में आकाश सारा”

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