हे हंसवाहिनी ज्ञान दायिनी
अम्ब विमल मति दे। अम्ब विमल मति दे॥
जग सिरमौर बनाएँ भारत,
वह बल विक्रम दे। वह बल विक्रम दे॥
हे हंसवाहिनी…..
अम्ब विमल मति दे। अम्ब विमल मति दे॥
साहस शील हृदय में भर दे,
जीवन त्याग-तपोमर कर दे,
संयम सत्य स्नेह का वर दे,
स्वाभिमान भर दे। स्वाभिमान भर दे॥१॥
हे हंसवाहिनी ….
अम्ब विमल मति दे। अम्ब विमल मति दे॥
लव-कुश, ध्रुव, प्रहलाद बनें हम
मानवता का त्रास हरें हम,
सीता, सावित्री, दुर्गा मां,
फिर घर-घर भर दे। फिर घर-घर भर दे॥२॥
हे हंसवाहिनी……
अम्ब विमल मति दे। अम्ब विमल मति दे॥
4- हे हंसवाहिनी ज्ञानदायिनी – सरस्वती वंदना
5- तुम ही हो माता पिता तुम्ही हो
14- हर देश में तू, हर भेष में तू
15- सुबह सवेरे लेकर तेरा नाम प्रभु,
[…] […]
[…] […]