हर देश में तू, हर भेष में तू,

तेरे नाम अनेक तू एक ही है,

तेरे नाम अनेक तू एक ही है ।

तेरी रंगभूमि, यह विश्व भरा,

सब खेल में, मेल में तू ही तो है ॥

सागर से उठा बादल बनके,

बादल से फटा जल हो करके ।

फिर नहर बना नदियाँ गहरी,

तेरे भिन्न प्रकार, तू एक ही है ॥

हर देश में तू, हर भेष में तू,

तेरे नाम अनेक तू एक ही है,

तेरे नाम अनेक तू एक ही है ।

चींटी से भी अणु-परमाणु बना,

सब जीव-जगत् का रूप लिया ।

कहीं पर्वत-वृक्ष विशाल बना,

सौंदर्य तेरा, तू एक ही है ॥

हर देश में तू, हर भेष में तू,

तेरे नाम अनेक तू एक ही है,

तेरे नाम अनेक तू एक ही है ।

यह दिव्य दिखाया है जिसने,

वह है गुरुदेव की पूर्ण दया ।

तुकड़या कहे कोई न और दिखा,

बस मैं अरु तू सब एकही है ॥

हर देश में तू, हर भेष में तू,

तेरे नाम अनेक तू एक ही है,

तेरे नाम अनेक तू एक ही है ।

तेरी रंगभूमि, यह विश्व भरा,

सब खेल में, मेल में तू ही तो है ॥

1- सरस्वती वंदना

2- माँ सरस्वती वरदान दो

3- ‘हे शारदे माँ’

4- हे हंसवाहिनी ज्ञानदायिनी – सरस्वती वंदना

5- तुम ही हो माता पिता तुम्ही हो

6- दया कर दान भक्ति

7- ऐ मालिक तेरे बन्दे हम

8- मारी मुट्ठी में आकाश सारा

9- इतनी शक्ति हमे देना दाता

10- ए मालिक तेरे बंदे हम

11- दयालु नाम है तेरा

12- वीणा वादिनि विमल वाणी दे

13- हम को मन की शक्ति देना

14- हर देश में तू, हर भेष में तू

15- सुबह सवेरे लेकर तेरा नाम प्रभु,

16- हे जग त्राता विश्व विधाता

17- सुख के सब साथी

By Ns Malawat

Heelo I am Narayan Singh Malawat From Jawatra Dist Udaipur State Rajasthan. I am A Govt. Teacher.

3 thoughts on “14- हर देश में, तू हर भेष में तू”

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