“चित्तौड़ का तीसरा साका”
23 फरवरी, 1568 ई.
* इस दिन रात्रि को जयमल राठौड़ दुर्ग की मरम्मत करवा रहे थे, तभी अकबर की नजर उन पर पड़ी | अकबर ने जयमल राठौड़ के वस्त्रों को देखकर अंदाजा लगाया कि ये कोई विशेष व्यक्ति होगा और उसने बिना समय गंवाए चित्तौड़ी बुर्ज से अपनी संग्राम नामक बन्दूक से जयमल राठौड़ पर निशाना साधा | गोली जयमल राठौड़ के पैर में लगी और वे बुरी तरह जख्मी हो गए |
राजपूत लोग जयमल राठौड़ को महलों में ले गए
अकबर ने भगवानदास से कहा कि “ये गोली जरुर उस आदमी को लगी है, क्योंकि जब मेरी बन्दूक की गोली शिकार पर लगती है, तो मुझे मालूम पड़ जाता है”
अकबर के सिपहसालारों ने कहा कि “हुजूर ये आदमी यहां बहुत बार आया है और अब अगर ना आए, तो समझ लेना चाहिए कि जरुर मारा गया होगा”
अबुल फजल लिखता है “शहंशाह के बन्दूक की गोली से जयमल राठौड़ मारा गया”
अकबर द्वारा जयमल राठौड़ को गोली मारना
(अबुल फजल, निजामुद्दीन अहमद बख्शी वगैरह फारसी इतिहासकारों ने अकबर की ज्यादा तारीफ करने की खातिर ऐसा लिख दिया, जबकि हकीकत में जयमल राठौड़ के पैर में गोली लगी थी और वे जिन्दा थे | इसका एक प्रमाण और भी है कि जयमल राठौड़ की छतरी द्वार पर बनी है, जिससे साबित होता है कि वे जरुर बहादुरी से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे | तीसरा प्रमाण ये है कि अकबर ने जयमल-पत्ता की मूर्तियां आगरा में बनवाई थीं, अब यदि जयमल राठौड़ बिना बहादुरी दिखाए मारे गए होते, तो अकबर उनकी मूर्ति न बनवाता)
23-24 फरवरी, 1568 ई.
“चित्तौड़ का तीसरा जौहर”
“नारी जद जौहर करे,
नर देवण सिर होड़ |
मरणो अठे मसखरी,
यो मेवाड़ी चित्तौड़ ||”
* इसी दिन अर्द्धरात्रि को चित्तौड़ का तीसरा जौहर हुआ
चित्तौड़ के तीसरे जौहर का मुगलकालीन चित्र
इस जौहर का नेतृत्व पत्ता चुण्डावत की एक पत्नी फूल कंवर ने किया
ये जौहर दुर्ग में 3 अलग-अलग स्थानों पर हुआ –
1) पत्ता चुण्डावत के महल में
2) साहिब खान के महल में
3) ईसरदास मेड़तिया के महल में
अबुल फजल लिखता है “हमारी फौज 2 दिन से भूखी-प्यासी होने के बावजूद सुरंगों को तैयार करने में लगी रही | इसी दिन रात को अचानक किले से धुंआ उठता नजर आया | सभी सिपहसालार अंदाजा लगाने लगे कि अंदर क्या हुआ होगा, तभी आमेर के भगवानदास ने शहंशाह को बताया कि किले में जो आग जल रही है, वो जौहर की आग है और राजपूत लोग केसरिया के लिए तैयार हैं, सो हमको भी तैयार हो जाना चाहिए”
अबुल फजल ने 3 स्थानों में से सबसे बड़ा जौहर ईसरदास मेड़तिया के महल में होना लिखा है, जहां अबुल फजल ने जौहर करने वाली वीरांगनाओं की संख्या 300 बताई है |
पत्ता चुण्डावत की माता सज्जन कंवर, 9 पत्नियों, 5 पुत्रियों व 2 छोटे पुत्रों ने जौहर किया | कुछ इतिहासकार पत्ता चुण्डावत की माता सज्जन कंवर व पहली पत्नी जीवा बाई सोलंकिनी के युद्ध में लड़ते हुए वीरगति पाने का उल्लेख करते हैं, जो कि सही नहीं है |
दुर्ग में जौहर करने वाली कुछ प्रमुख राजपूत वीरांगनाओं के नाम इस तरह हैं –
> रानी फूल कंवर :- इन्होंने चित्तौड़ के तीसरे जौहर का नेतृत्व किया | ये पत्ता चुण्डावत की पत्नी थीं | पत्ता चुण्डावत ने जयमल राठौड़ की पुत्री से विवाह किया था, इसलिए सम्भवत: ये जयमल राठौड़ की पुत्री थीं |
> सज्जन बाई सोनगरी :- पत्ता चुण्डावत की माता
> रानी मदालसा बाई कछवाही :- सहसमल की पुत्री
> जीवा बाई सोलंकिनी :- सामन्तसी की पुत्री व पत्ता चुण्डावत की पत्नी
> रानी सारदा बाई राठौड़
> रानी भगवती बाई :- ईसरदास जी की पुत्री
> रानी पद्मावती बाई झाली
> रानी बगदी बाई चौहान
> रानी रतन बाई राठौड़
> रानी बलेसा बाई चौहान
> रानी बागड़ेची आशा बाई :- प्रभार डूंगरसी की पुत्री
पत्ता चुण्डावत का महल – चित्तौड़ के तीसरे जौहर के तीन स्थानों में से एक
* चित्तौड़ के तीसरे जौहर के प्रमाण स्वरुप भारत सरकार के पुरातत्व विभाग ने समिद्धेश्वर मन्दिर के पास सफाई करवाई तो राख और हड्डियां बड़ी मात्रा में मिलीं
चित्तौड़ का तीसरा साका
“चित्तौड़ का तीसरा साका”
23 फरवरी, 1568 ई.
* इस दिन रात्रि को जयमल राठौड़ दुर्ग की मरम्मत करवा रहे थे, तभी अकबर की नजर उन पर पड़ी | अकबर ने जयमल राठौड़ के वस्त्रों को देखकर अंदाजा लगाया कि ये कोई विशेष व्यक्ति होगा और उसने बिना समय गंवाए चित्तौड़ी बुर्ज से अपनी संग्राम नामक बन्दूक से जयमल राठौड़ पर निशाना साधा | गोली जयमल राठौड़ के पैर में लगी और वे बुरी तरह जख्मी हो गए |
राजपूत लोग जयमल राठौड़ को महलों में ले गए
अकबर ने भगवानदास से कहा कि “ये गोली जरुर उस आदमी को लगी है, क्योंकि जब मेरी बन्दूक की गोली शिकार पर लगती है, तो मुझे मालूम पड़ जाता है”
अकबर के सिपहसालारों ने कहा कि “हुजूर ये आदमी यहां बहुत बार आया है और अब अगर ना आए, तो समझ लेना चाहिए कि जरुर मारा गया होगा”
अबुल फजल लिखता है “शहंशाह के बन्दूक की गोली से जयमल राठौड़ मारा गया”
अकबर द्वारा जयमल राठौड़ को गोली मारना
(अबुल फजल, निजामुद्दीन अहमद बख्शी वगैरह फारसी इतिहासकारों ने अकबर की ज्यादा तारीफ करने की खातिर ऐसा लिख दिया, जबकि हकीकत में जयमल राठौड़ के पैर में गोली लगी थी और वे जिन्दा थे | इसका एक प्रमाण और भी है कि जयमल राठौड़ की छतरी द्वार पर बनी है, जिससे साबित होता है कि वे जरुर बहादुरी से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे | तीसरा प्रमाण ये है कि अकबर ने जयमल-पत्ता की मूर्तियां आगरा में बनवाई थीं, अब यदि जयमल राठौड़ बिना बहादुरी दिखाए मारे गए होते, तो अकबर उनकी मूर्ति न बनवाता)
23-24 फरवरी, 1568 ई.
“चित्तौड़ का तीसरा जौहर”
“नारी जद जौहर करे,
नर देवण सिर होड़ |
मरणो अठे मसखरी,
यो मेवाड़ी चित्तौड़ ||”
* इसी दिन अर्द्धरात्रि को चित्तौड़ का तीसरा जौहर हुआ
चित्तौड़ के तीसरे जौहर का मुगलकालीन चित्र
इस जौहर का नेतृत्व पत्ता चुण्डावत की एक पत्नी फूल कंवर ने किया
ये जौहर दुर्ग में 3 अलग-अलग स्थानों पर हुआ –
1) पत्ता चुण्डावत के महल में
2) साहिब खान के महल में
3) ईसरदास मेड़तिया के महल में
अबुल फजल लिखता है “हमारी फौज 2 दिन से भूखी-प्यासी होने के बावजूद सुरंगों को तैयार करने में लगी रही | इसी दिन रात को अचानक किले से धुंआ उठता नजर आया | सभी सिपहसालार अंदाजा लगाने लगे कि अंदर क्या हुआ होगा, तभी आमेर के भगवानदास ने शहंशाह को बताया कि किले में जो आग जल रही है, वो जौहर की आग है और राजपूत लोग केसरिया के लिए तैयार हैं, सो हमको भी तैयार हो जाना चाहिए”
अबुल फजल ने 3 स्थानों में से सबसे बड़ा जौहर ईसरदास मेड़तिया के महल में होना लिखा है, जहां अबुल फजल ने जौहर करने वाली वीरांगनाओं की संख्या 300 बताई है |
पत्ता चुण्डावत की माता सज्जन कंवर, 9 पत्नियों, 5 पुत्रियों व 2 छोटे पुत्रों ने जौहर किया | कुछ इतिहासकार पत्ता चुण्डावत की माता सज्जन कंवर व पहली पत्नी जीवा बाई सोलंकिनी के युद्ध में लड़ते हुए वीरगति पाने का उल्लेख करते हैं, जो कि सही नहीं है |
दुर्ग में जौहर करने वाली कुछ प्रमुख राजपूत वीरांगनाओं के नाम इस तरह हैं –
> रानी फूल कंवर :- इन्होंने चित्तौड़ के तीसरे जौहर का नेतृत्व किया | ये पत्ता चुण्डावत की पत्नी थीं | पत्ता चुण्डावत ने जयमल राठौड़ की पुत्री से विवाह किया था, इसलिए सम्भवत: ये जयमल राठौड़ की पुत्री थीं |
> सज्जन बाई सोनगरी :- पत्ता चुण्डावत की माता
> रानी मदालसा बाई कछवाही :- सहसमल की पुत्री
> जीवा बाई सोलंकिनी :- सामन्तसी की पुत्री व पत्ता चुण्डावत की पत्नी
> रानी सारदा बाई राठौड़
> रानी भगवती बाई :- ईसरदास जी की पुत्री
> रानी पद्मावती बाई झाली
> रानी बगदी बाई चौहान
> रानी रतन बाई राठौड़
> रानी बलेसा बाई चौहान
> रानी बागड़ेची आशा बाई :- प्रभार डूंगरसी की पुत्री
पत्ता चुण्डावत का महल – चित्तौड़ के तीसरे जौहर के तीन स्थानों में से एक
* चित्तौड़ के तीसरे जौहर के प्रमाण स्वरुप भारत सरकार के पुरातत्व विभाग ने समिद्धेश्वर मन्दिर के पास सफाई करवाई तो राख और हड्डियां बड़ी मात्रा में मिलीं